बच्चों में मिर्गी रोग
Epilepsy in Children in Hindi
बच्चों में मिर्गी रोग
मिर्गी (Epilepsy) किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार पूरी दुनिया में 5 करोड़ लोग मिर्गी से पीड़ित हैं। दुनियाभर में बढ़ते मिर्गी के मामलों में एक चौथाई केस बच्चों से जुड़े हुए हैं ।
कुछ मिर्गी के ऐसे भी दौरे हैं जैसे फेब्राइल दौरा (febrile seizures) जो बचपन में केवल एक बार आते हैं और बाद में कभी नहीं। कुछ प्रकार की मिर्गी बचपन बीतने के बाद समाप्त हो जातीं हैं। लगभग 70% बच्चे जिनको बचपन में मिर्गी थी, बड़े होने पर इससे छुटकारा पा जाते हैं।
मिर्गी को लेकर कई तरह की गलतफहमियां हैं। लोग सोचते हैं कि इसका इलाज नामुमकिन है या फिर इससे पीड़ित बच्चे नॉर्मल जिंदगी नहीं जी सकता, लेकिन यह सच नहीं है। सही इलाज से मिर्गी से मुक्ति मुमकिन है।
क्या है मिर्गी
यह एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें मरीज के दिमाग में असामान्य तरंगें पैदा होने लगती हैं। यह कुछ वैसा ही है जैसे कि शॉर्ट सर्किट में दो तारों के बीच गलत दिशा में तेज करंट दौड़ता है। इस विकार के कारण बच्चों को समय-समय पर दौरे पड़ते हैं।
बच्चों में पाई जाने वाली मिर्गी कई प्रकार की हो सकती है, जन्हें प्रायः पहचाना नहीं जाता है। पहचानने में परेशानी की कई कारण हैं, जैसे :
(१) बच्चे में अभिव्यक्ति की असमर्थता
(२) अभिभावकों में जानकारी का आभाव
(३) मिर्गी के कुछ दौरों का क्षणिक एवं सूक्ष्म स्वरूप एवं
(४) मिर्गी के सम्बन्ध में प्रचलित गलत धारणाएँ
बच्चों में मिर्गी के लक्षण क्या है ?
बच्चों में मिर्गी की समस्या होने पर निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकता है।
- मांसपेशियो में मरोड़ होना, ऐंठन होना, कठोरता
- अचानक मांसपेशी में झटके लगना
- बोलने में परेशानी होना
- हाथो को रगड़ना या ताली बजाना
- चेतना खो देना
- बच्चों का घूरना व एक टक देर तक एक ही जगह को देखना
- अचेत व बेहोश होना
- शरीर का पूरी तरह से हिल जाना
- शरीर में सनसनाहट
- डर और चिंता
- अचानक से कुछ न समझ पाना
- भावनात्मक बदलाव
बच्चों में मिर्गी के कारण
बच्चों को मिर्गी का दौरा पड़ने के कई कारण हो सकते हैं।
- मिर्गी के दौरे पड़ने के कुछ अहम कारण हैं-
- प्रसवकालीन हाइपोक्सिया (प्रसव के दौरान या बाद में बच्चे के मस्तिष्क को अपर्याप्त ऑक्सीजन मिलना)
- मस्तिष्क की जन्मजात विकृतियां
- फेब्राइल दौरे (बुखार की वजह से होने वाली बीमारियां)
- दिमागी बुखार/ (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) में इंफेक्शन
- ब्रेन इंजरी
- मस्तिष्क के संक्रमण के बाद दिमाग को पहुंचने वाला नुकसान
- दिमाग से संबंधी बर्थ डिफेक्ट
- मस्तिष्क के ऊतकों को नष्ट करने वाली या नुकसान पहुंचाने वाली बीमारियां
- मस्तिष्क में रक्तस्राव होने या खून का थक्का जम जाने (स्ट्रोक)
- मस्तिष्क में असामान्य रक्त वाहिकाएं
- आनुवंशिक समस्या
बच्चों में मिर्गी का निदान
आमतौर पर बच्चों में मिर्गी के जांच के लिए कुछ टेस्ट किए जाते हैं: खून जाँच
(Blood tests), हेड सीटी या एमआरआई स्कैन (CT Scan/MRI), ईईजी (इलेक्ट्रो एन्से फलोग्राम, EEG)
दौरे की स्थिति में क्या करें
मिरगी के मरीज को दौरा आता है, जिस दौरान उसके शरीर की गतिविधियां सामान्य नहीं रहतीं। इस दौरान अगर मरीज को सही उपचार ना मिले तो स्थिति चिंताजनक हो सकती है। अधिकतर माता-पिता जानकारी के अभाव में इस दौरान डर जाते हैं और असहाय महसूस करने लगते हैं। ऐसे में माता-पिता बच्चे की किस तरह से मदद कर सकते हैं, यह हम नीचे बता रहे हैं
- मरीज को जमीन पर या समतल स्थान पर करवट से लिटा दें या उसकी गर्दन एक ओर मोड़ दें, ताकि मुंह में जमा लार और झाग बाहर निकल जाए।
- मरीज के पास से फर्नीचर, तेज, नुकीली या चुभने वाली या धारदार वस्तुएं हटा दें
- दौरा पड़ने पर मरीज को बदबूदार जूते, सड़े प्याज न सुंघाएं। ये सब भ्रांतियां हैं
- बच्चे के सिर के नीचे तकिया रख दें।
- अगर बच्चे ने शर्ट पहनी है, तो उसके बटन खोल दें या गले में कोई टाइट कपड़ा जैसे – टाई आदि, तो उसे ढीला कर दें।
- बच्चे के मुंह में कुछ भी न डालें। यहां तक कि दवा या तरल भी नहीं। इससे उसके जबड़े, जीभ या दांतों को नुकसान पहुंचा सकता है।
- बच्चे को मिर्गी पड़ने के दौरान और उसके कुछ देर बाद तक उसके साथ ही रहें।
- लंबा दौरा पड़ने पर Midazolam Nasal Spray का उपयोग करें
- डॉक्टर को विस्तार से बताएं कि मिर्गी का दौरा कितनी देर के लिए आया और उसके लक्षण क्या थे।
क्या है उपचार
- दवाई :मिर्गी के दौरे को रोकने वाली दवाओं को एंटीकॉन्वेलेंट्स (Anticonvulsants) या एंटीपीलेप्टिक (Antiepileptic) दवा कहा जाता है। मिर्गी के दौरे की संख्या को इन दवाओं की मदद से कम किया जा सकता है।
- बरतें सावधानियां
- जिन कारणों से दौरा पड़ने की आशंका रहती है, उनसे खासतौर से बचें
- मिर्गी रोगी को तैराकी, साइकिलचलाने से बचना चाहिए।
- नियमित रूप से और नियमित समय पर दवा का सेवन करें और जब तक डॉक्टर न कहे, उपचार बंद न करें।
- देर रात तक न जागें, 7-8 घंटे की नींद जरूर लें।
- Surgery, Ketogenic Diet: जो मिर्गी दवाओं के बाद भी नियंत्रित नहीं होती है, उसे मेडिकली रिफ्रेक्टरी मिर्गी (Medically Refractory Epilepsy) कहा जाता है। ऐसे मामलों में भी डॉक्टर सर्जरी करने की या Ketogenic Diet शुरू करने की सलाह देते हैं
मिरगी लाइलाज नहीं है। बच्चे उचित उपचार के साथ बिल्कुल सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं। अगर आपके बच्चे को दौरे पड़ते हैं, तो तुरंत Pediatric Neurologist से सलाह लें।